शहजादा दास्तान
उधर शहज़ादा दास्तान अपनी हर मुमकिन कोशिश कर रहा था की वह शहज़ादी ज़ैनीफर के अंदाज़ में न सोचे और अपनी मर्ज़ी करे लेकिन न जाने कौन सी ताक़त थी जो उसका साथ नही दे रही थी।
वह सोचता कुछ होता था और उससे हरकत कुछ और हो जाती थी।
शाह आर्थोस के पास तीन बूढ़े ताजिर बैठे हुए थे। उन तीनो का शाह आर्थोस ने खुद का तारुफ़ करवाया था।
उनमे एक क़ीमती और नफीस कपड़ो का सौदागर था। दूसरा सौदागर तरह तरह के ज़ेवरात लाया था और तीसरा सौदागर अपने हाथ में एक छोटा सा पिंजरा लिए बैठा था ।
पिंजरे में एक निहायत खूबसूरत खरगोश नुमा जानवर फुदकता हुआ दिखाई दे रहा था।
"बेटी यह तीनो सौदागर एक बार फिर तुम्हारे लिए दुनिया की नायाब और क़ीमती चीज़े ले कर आये है। "
शाह आर्थोस ने शहज़ादी आरसाना से मुखातिब हो कर कहा। शहज़ादी ज़ैनीफर ने इस बात में सिर हिलाया तब सौदागर उसे कपड़े और ज़ेवरात दिखाने लगे। जब वह दो सौदागर से कपड़ें और जेवरात पसंद कर चुकी तो वह तीसरे सौदागर की जानिब मुड़ी जो एक तरफ बिलकुल ख़ामोशी से बैठा था।
"आप बिलकुल खामोश है। क्या आप हमारे लिए कोई क़ीमती तोहफा नहीं लाये?" शहज़ादी ज़ैनीफर ने उस से मुखातिब हो कर कहा।
उसकी बात सुन कर तीसरे सौदागर ने मुस्कुराते हुए पिंजरा उठाया और शहज़ादी आरसाना की जानिब बढ़ाते हुए कहने लगा।
"शहज़ादी साहिबा ! मैं इस बार आपके लिए दुनिया का निहायत हैरतअंगेज़ और अजीबो गरीब तोहफा लाया हूँ। जिसे देख कर आप ख़ुशी से फूली न समायेंगी। " उस सौदागर ने कहा।
शहज़ादी आरसाना से सुनहरी खरगोश वाला पिंजरा ले। लिया।
"क्या मतलब?, यह तो एक आम सा खरगोश मालूम होता है ,बस सिर्फ इसका रंग सुनहरी ज़रूर है। इसमें भला अजीबो गरीब बात क्या हो सकती है? और न ही इस पिंजरे में कोई खास बात नज़र आती है!"
शहज़ादी आरसाना ने हैरत भरे अंदाज़ में खरगोश और पिंजरे को देखते हुए कहा।
"शहज़ादी साहिबा ! अगर मैं कहूं कि यह सुनहरा खरगोश इंसानो की तरह से बोलना जानता है तो फिर..?" बूढ़े सौदागर ने मुस्कुरा कर कहा।
"क्या कहा! यह खरगोश इंसानो की तरह बोलना जानता है? यह कैसे हो सकता है ,अगर ऐसा तब सच में यह हैरत की बात है और फिर सच यह अहिरात अंगेज़ जानवर होगा। " शहज़ादी ज़ैनीफर ने हैरत से कहा।
उसके साथ बादशाह सलामत और दूसरे सौदागर भी यह बात जान कर हैरान रह गए थे कि खरगोश इंसानो की तरह से बोल सकता है।
"जी हां शहज़ादी साहिबा। यह खरगोश इंसानो की तरह से बाते करना जानता है और यह आने वाले वक़्त की पेंशन गोइयाँ भी करता है जो सिर्फ ब हर्फ़ पूरी होती है।
मुझे शिकार दौरान एक जंगल में मिला था। उसने खुद ही ख्वाहिशे ज़ाहिर थी कि मैं उसे आप के पास ले जाऊ। "
बूढ़े सौदागर ने कहा और शहज़ादी ज़ैनीफर सचमुच हैरान रह गयी।
"क्यू भई खरगोश क्या यह बात सच है। क्या सच में तुम इंसानो की तरह से बोलना जानते हो। "शहज़ादी आरसाना ने पिंजरा उठा कर गौर से उस सुनहरे खरगोश की जानिब देखते हुए पूछा।
"यह सच कह रहा है शहज़ादी साहिबा। आप इससे खरीद लीजिये। फिर मैं आपको सारी बाते बतला दूंगा। कि मैं कौन हूँ और आपके पास क्यू आना चाहता था। "
सुनहरे खरगोश के मुंह से यह अल्फ़ाज़ ज़ैनीफर बल्कि बादशाह सलामत और दूसरे लोग हैरान रह गए।
शहज़ादी ज़ैनीफर के हाथ से इख़्तियार पिंजरा छूट गयाऔर नीचे गिर गया . जिसे लपक कर खरगोश लाने वाले सौदागर ने उठा लिया।
काफी देर तक शहज़ादी ज़ैनीफर गुंगी बनी रही फिर उसके चेहरे पर हैरत और ख़ुशी के मिले जुले तासुररात फैलते जा रहे थे।
"उफ़ ताज्जुब अंगेज़ इन्तेहाई ताज्जुब अंगेज़। मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि दुनिया में इस तरह के इंसानो से बाते करने वाले जानवर भी पाए जाते है। वाक़ई सौदागर, तुम हमारे लिए दुनिया का अजीबो गरीब ही नहीं बेहद नायाब और क़ीमती तोहफा लाये हो।
हम तुमसे बहुत खुश है और तुम्हे उसका हम मुहं माँगा इनाम देंगे। "
"अब्बा हुज़ूर। इस सौदागर की हर खवाहिश पूरी की जाये चाहे यह इनाम में सारे महल ही क्यू न मांग ले। " शहज़ादी ज़ैनीफर ने पहले सौदागर से और फिर अपने बादशाह से मुखातिब हो कर कहा।
उसके चेहरे पे अजीब मुसर्रत अंगेज़ ख़ुशी लहरा रही थी। इस क़द्र अजीब और हैरान कुन तोहफा पा कर वह बेहद खुश नज़र आरही थी।
बेटी को खुश देख कर बादशाह सलामत भी बहुत खुश हुए उन्होंने उस सौदागर को मुंह माँगा इनाम दे कर वहां से रुखसत कर दिया।
शहज़ादी ज़ैनीफर खरगोश वाले पंजरे अपने कमरा खास में आ गयी। उसने पिजरे को मेज़ पर रखा और एक खूबसूरत कुर्सी पर बैठ कर मुसर्रत भरे अंदाज़ में खरगोश को देखने लगी। उसके ज़ेहन में समाया हुआ हरकोलेस भी इस पिंजरे में बंद खरगोश को हैरान हैरान नज़रो से देख रहा था।
"शहज़ादी साहिबा। मुझे इस पिंजरे से आज़ाद नहीं करेंगी। "अचानक सुनहरे खरगोश ने शहज़ादी से मुखातिब हो कर कहा और शहज़ादी ज़ैनीफर अपने ख्यालो से निकल आयी और मुस्कुराते हुए पिंजरे का दरवाज़ा खोल दिया। सुनहरा खरगोश जल्दी से पिंजरे से बाहर आगया। और शहज़ादी ज़ैनीफर के सामने बैठ गया। उसकी आंखे नीले रंग की थी वह बेहद खूबसूरत दिखाई दे रहा था।
"शहज़ादी साहिबा। आप मुझसे पूछेंगी नहीं की मैं कौन हूँ? और आपके पास क्यों आया हूँ? और सबसे बड़ी बात की मैं इंसानो की तरह बाते कर सकता हूँ!" खरगोश शहज़ादी ज़ैनीफर से मुखातिब हो कर कहा।
"हां मैं इसी शश व पंज मुब्तिला हूँ। तुमने खुद ही कहा था कि मैं तुम्हे उस सौदागर से ले लूं तो तुम मुझे अपने बारे में सब कुछ बता दोगे। मैं इस ख्याल से खामोश थी कि तुम खुद ही अपने बारे में सब बाते बता ओगे। शहज़ादी ज़ैनीफर ने कहा ।
"शहज़ादी साहिबा। मैं खरगोश नहीं हूँ। बल्कि आपकी तरह एक इंसान हूँ। आप हैरान ज़रूर होंगी मगर यह हक़ीक़त है। मैं मुल्क ताफूर का शहज़ादा हूँ ,मेरा नाम ताऊस है।
इंसान से जानवर यानी खरगोश किस तरह बना, यह आप निहायत अजीब और हैरत अंगेज़ कहानी है। इससे पहले कि मैं आपको अपने बारे में कुछ बतलाऊ, मैं आपको खबरदार कर देना चाहता हूँ।
आप हीरे को अपनी ज़िन्दगी से अलहदा कर लें। जिसकी वजह से आप की ज़िन्दगी इस क़द्र खौफनाक अज़ीयतो परेशानियों का शिकार होने वाली हैं जिसके बारे में आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकतीं।
अगर आपने इस हीरे को जाया नहीं किया तो आपकी ज़्हिंदगी शख्त अज़ाब में मुब्तिला हो सकता है।" सुनहरे खरगोश ने निहायत संजीदगी से कहा।
"मनहूस हीरा मतलब !, यह तुम किस हीरे का ज़िक्र कर रहे हो। " उसकी बात सुन कर शहज़ादी ज़ैनीफर ने हैरत ज़दा अंदाज़ में उससे पूछा।
"तीकान हीरा ,जिसे अपने कुछ अरसा क़ब्ल एक सौदागर से खरीदा था।
शहज़ादी साहिबा, वह सौदागर असल में एक जादूगर था।
जिसने आपको जादू के ज़ोर से अपने बस में करके ज़बरदस्ती हीरा आपको दे दिया था . ताकि आप उस हीरे के सेहर में आ जाये और वह अपना खास मक़सद हासिल कर सके।
उसका असल मक़सद आपको और आपके वालिद साहब को क़तल करना है और आपकी सारी रियासत पर क़ब्ज़ा करना है। इसलिए उसने अपना सारा इल्म उस हीरे में डाल दिया था।
.. ताकि हीरा जिसके पास जाये वह उसके सेहर में गिरफ्तार हो जाये और उस हीरे के सेहर में आने वाला शख्स उस जादूगर का तअबे हो जाये।
...और शहज़ादी साहिबा आप और बादशाह सलामत के साथ साथ यह सारी रियासत उस हीरे की नहूसत का शिकार हो चुकी है।
उस जादूगर ने आपके हंमसाये मुल्क को भी बहका दिया है। उस मुल्क का बादशाह आर्थोस और शहज़ादा हरनास के ज़ेहनो में भी उस जादूगर ने हीरे का असर पैदा कर दिया ।उसने बादशाह और शहज़ादा हरनास सोते में ख्वाब के आलम में उस हीरे के मुताल्लिक़ बतलाया था।
और अब वह उस हीरे के हुसूल के लिए बेताब हो रहे है। उन्होंने अपने शाही नुजूमियों से मालूम कर लिया है की हीरा इस वक़्त आपके पास है। उन्होंने पहले तो कोशिशे यह की आपके वालिद साहिब के पास अपने बेटे हरनास के रिश्ता भेजा। मगर आपके वालिद साहिब ने उन्हें आपका रिश्ता देने से इंकार कर दिया जिसकी वजह से वह सख्त ग़ज़बनाक हो रहे है। और शहज़ादा हर नास ने तो फ़ौज के साथ आपके मुल्क की आपके मुल्क की जानिब पेश क़दमी भी शुरू कर दी है।
वह किसी भी वक़्त आपके मुल्क पर हमला वर हो सकते है।
शहज़ादी साहिबा मैं आपको तंबीह करने के लिए आया हूँ।आप उस हीरे को जल्दी जाया कर दे।
इसे आग में जलाने से उस जादूगर का सारा असर हीरे पर से ख़त्म हो जायेगा और इस तरह न सिर्फ हीरे का सर आपके ज़ेहनो से निकल जायेगा बल्कि शहज़ादा हरनास भी हीरे के सेहर से आज़ाद हो जायेगा। यु तो शहज़ादा हरनास बेहद सख्त गो और ज़ालिम तबियत है वह उसके बावजूद भी पर हमला वर हो कर रहेगा मगर इस तरह वह आपके मुल्क पर फतह नहीं पा सकेगा। और नाकाम वापस लौट जायेगा।
लेकिन अगर आप ने हीरे को जाया न किया तो शहज़ादा हरनास और उसके साथ जबूक जादूगर की मायावी ताकते है। जो हर हाल में उन्हें फतह कर लेगी।"
सुनहरे खरगोश ने जल्दी जल्दी से कहा।
शहज़ादी जो बड़े इनहेमाक से सुनहरे खरगोश की बाते सुन रही थी। और उसकी बाते सुन कर उसे बेपनाह गुस्सा आरहा था। "हूँ शहज़ादा हरनास की यह हिम्मत की वह हमारे मुल्क पर चढ़ाई करे। वह यहाँ खुद नहीं आ रहा बल्कि उसे यहाँ मौत खींच कर ला रही है मैं अभी अब्बा हुज़ूर को इत्तेला देती हूँ। "शहज़ादी ज़ैनीफर ने बेहद गसीले लहजे में कहा। फिर उसने ज़ोर ज़ोर से ताली बजायी।
"शहज़ादी साहिबा मेरा मशवरा मान ले इस हीरे को जाया कर दे। इसमें आपकी और आपके खानदान की बल्कि आपकी सारी रियासत की भलाई है,वरना यहाँ हर तरफ इस क़द्र खून खराबा होगा जिसके बारे में आप सोच भी सकती ।
.अगर एक मर्तबा यहाँ जंग छिड़ गयी तो उस रियासत का एक बच्चा नहीं रहेगा। हर तरफ मौत सूरज की रौशनी की तरह अपने पर फैलाएगी और आप की सारी रियासत नेस्त व नाबूद हो जाएगी। " सुनहरी खरगोश ने कहा।
"बकवास बंद करो। तुम हमें बुज़दिली दरस दे रहे हो। मैं कोई आम शहज़ादी नहीं हूँ शहज़ादा ताऊस मेरे हाथो इतनी ताक़त है कि मैं शहज़ादा हरनास जैसे पचास शहज़ादों से बैक वक़्त लड़ सकती हूँ और उन्हें शिकस्त फाश दे सकती हूँ।
बार बार मुझे तीकान हीरे को जाया करने के लिए कह रहे हो । ऐसा कभी नहीं हो सकता मैं इस हीरे जाया नहीं करुँगी। तुम नहीं जानते मैंने इस हीरे को उस सौदागर से अपनी रियासत की आधी दौलत दे कर खरीदा था। तुम झूट कहते हो। हीरा कभी मनहूस नहीं हो सकता। यह मुझे अम्मी जान से ज़्यादा प्यारा हैं और मैं इसे अपने आपसे कभी अलग नहीं कर सकती।" शहज़ादी आर साना ने शदीद गसीले लहजे में कहा।
"आप हीरे को अपनी जान से प्यारा कह रही है शहज़ादी साहिबा लेकिन वक़्त आएगा कि आप को मेरी तमाम बाते याद आएंगी और फिर आप इस क़द्र पछताएंगी की हर मेरी बात क्यू नहीं मानी। "सुनहरे खरगोश ने कहा ।
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"शहज़ादी आर साना ने कभी पछताना नहीं सीखा। मैं तुम्हारी मश्कूर हूँ शहज़ादा ताऊस कि तुमने मुझे बवक़्त शहज़ादा हरनास की पेश क़दमी की खबर दे दी। अब तुम अपनी देखना की हम शहज़ादा हरनास और उसकी फ़ौज हश्र करते है। "शहज़ादी ज़ैनीफर ने दोनों हाथो की मुठिया भींजते हुए कहा शदीद गुस्से से उसका चेहरा सुर्ख हो रहा था।
"ना मुमकिन शहज़ादी साहिबा। तबाही बर्बादी और ज़िल्लत आपका मुक़द्दर बन चुकी है। आप मेरी बात न मान कर ज़िन्दगी की सबसे बड़ी गलती कर रही है। मैं यहाँ आपको समझाने आया था लेकिन अफ़सोस आपने मेरी बात मैंने से इंकार कर दिया है। ठीक है जैसी आपकी मर्ज़ी मैं क्या कह सकता हूँ। "सुनहरे खरगोश ने तास्सुफ़ भरे लहजे में कहा। फिर अचानक वह बुरी तरह चौंक पड़ा।
"ओह ओह्ह जबूक जादूगर को इल्म हो गया है कि मैंने आपको सारी हक़ीक़त बतला दी है,वह इस तरफ आ रहा है ।
इससे पहले कि वह यहाँ आये और मुझे किसी क़िस्म का नुकसान पहुंचाने की कोशिश करे मैं यहाँ से भाग जाऊ तो बेहतर है। " उसने निहायत परेशान लहजे में कहा। उसी वक़्त तेज़ रौशनी चमकी और खरगोश अपनी जगह से गायब हो गया।
यूं अचानक गायब होते देख कर शहज़ादी ज़ैनीफर बुरी तरह से चौंक उठी। फिर मबेइख्तियार उसका हाथ अपने पिटके में लटकी हुई थैली की तरफ गया। उसने थैली में से हीरा निकाला और गौर से उसे देखने लगी ।
शहज़ादा दास्तान जो उसके ज़ेहन में समाया हुआ था उसने चीख चीख कर शहज़ादी से कहा " ख़्वाह ख़्वाह का अज़ाब मोल न ले और उस हीरे को ज़ाया न कर दे। ,सुनहरा खरगोश सच कह रहा था। उसका अंदाज़ बता रहा था की वह झूट नहीं बोल रहा था।" मगर भला शहज़ादी ज़ैनीफर को शहज़ादा दास्तान की आवाज़ की क्या परवाह हो सकती थी। वह चंद लम्हे गौर से हीरे की जानिब देखती रही। फिर उसने हीरे को दुबारा थैली में डाल कर उसे पिटके में रख लिया। उसने एक बार फिर ज़ोर से ताली बजायी ,जल्द ही एक कनीज़ अंदर दाखिल हुई।
"हुक्म शहज़ादी आलिया। "उसने झुक कर सलाम करके मोदबाना लहजे में पूछा। "अब्बा हुज़ूर से जाकर कहो की हम उन्हें एक ज़रूर इत्तेला देने के लिए आरही है। " उसने तहकिमाना लहजे में कहा और कनीज़ सर हिला कर उलटे क़दमों वापस निकल गयी।